Gehu Ki Kheti Kaise Karein : गेहूं की खेती कैसे करें

Gehu Ki Kheti Kaise Karein : गेहूं की खेती कैसे करें

भारत में गेहूं की खेती बहुत जोरो शोरो से किया जाता है गेहूं और चावल ऐसा की प्रमुख खाद्यान्न फासले हैं एशिया में चावल के बाद सबसे अधिक कृषि भूमि पर गेहूं की खेती की जाती है गेहूं की खेती समानता शीतोष्ण या कुपोषण कटिबंधीय प्रदेश में आसानी से की जाती है आप लोग जानते हैं कि गेहूं को भारत में एन का राजा कहा जाता है क्योंकि यह हमारे लिए बहुत ही आवश्यकता है जिससे कि हम रोटी के रूप में उपयोग करते हैं गेहूं में कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होती है भारत में कुछ प्रमुख राज्यों में जैसे पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश इत्यादि जगहों पर गेहूं की खेती का मुख्य उत्पादक क्षेत्र है

गेहूं की खेती करने के बारे में इसलिए मैं आपको बताएंगे आप लोग जानते हैं कि चावल की भांति गेहूं की खेती भी भारत में अति प्राचीन काल से होती आ रही है आज भी है हमारे देश के प्रमुख फसल है देश में चावल के बाद गेहूं की दूसरी प्रमुख खाद्यान्न है या भारत की लगभग एक चौथाई जनसंख्या का प्रमुख आहार है आजकल हमारा यहां लगभग 3.1 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर गेहूं पैदा किया जाता है जो कि कल किसी भूमि का लगभग 18% होता है क्षेत्रफल की दृष्टि से गेहूं उत्पादक देश में भारत का तीसरा स्थान है गेहूं की खेती करने के संबंध में आयुर्वेदिक जानकारी आप कुछ लिख में देने वाले हैं

Gehu Ki Kheti Overview

Post Type Information
Name Of Information Farming
Crops Name Wheat
Location India
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उपज की दशाएं

गेहूं शीतोष्ट कटिबंधीय पैदावार है भारत में या रवि की फसल है अतः अक्टूबर नवंबर में बोला जाता है और मार्च अप्रैल में काटा जाता है यह विभिन्न प्रकार की मिशन तथा जलवायु में पैदा किया जाता है अतः इसकी खेती का बहुत व्यापक क्षेत्र है

गेहूं की खेती के लिए आवश्यक तापमान

गेहूं चुकी समशीतोष्ण जलवायु का पौधा है अतः इसके लिए बोते समय 10 डिग्री सेंटीग्रेड तथा पटे समय 20 से 26 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान आवश्यक होता है फसल के पकाने समय तापमान में ययायक वृद्धि हानिकारक होता है अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में गेहूं का पैदावार नहीं किया जा सकता है यही कारण है कि हमारे यहां गेहूं शीत ऋतु की फसल है

गेहूं की खेती करने के लिए आवश्यक वर्षा

गेहूं की खेती के लिए 50 से 70 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है 100 सेंटीमीटर अधिक वर्षा वाले भागों में इसकी पैदावार नहीं होती किंतु 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले भागों में यह सिंचाई द्वारा पैदा किया जा सकता है देश में जड़ों में वर्षा बहुत कम होता है अतः अधिकांश गेहूं सिंचाई द्वारा ही पैदा किया जाता है

गेहूं की खेती करने के लिए आवश्यक मिट्टी

वैसे तो गेहूं अनेक प्रकार की मिशन में पैदा किया जा सकता है किंतु जय पदार्थ नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटाश आदि तत्वों से युक्त मिट्टी इसके लिए अधिक उपयुक्त होता है यही कारण है कि उत्तर भारत में नदियों द्वारा ले गए मिट्टी गुजरात महाराष्ट्र मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक राज्य का लाभ आयुक्त काली मिट्टी तथा मरुस्थलीय भागों मैं रेतीली मिट्टी जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है गेहूं की खेती के लिए उपयुक्त है वस्तुत गेहूं के लिए हल्की तथा मध्यम दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होता है

गेहूं की खेती करने के लिए आवश्यक भूमि

गेहूं की खेती के लिए समतल भूमि उपयुक्त रहती है क्योंकि इसकी खेती में मशीनों का प्रयोग काफी होता है इसकी अतिरिक्त समतल भागों में सिंचाई करना भी सरल होता है यही कारण है कि भारत में गेहूं का प्रधान क्षेत्र उत्तर का बड़ा मैदान ही है

गेहूं खेती करने के लिए आवश्यक खाद

गेहूं की फसल से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है अतः भूमि की ओर बढ़ा सकती को बढ़ाने तथा प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसको रासायनिक करो की आवश्यकता होती है

गेहूं की खेती के लिए उत्पादक क्षेत्र

भारत में कुल कृषि क्षेत्र के लगभग 18% क्षेत्र में गेहूं बोया जाता है आंकड़ों के अनुसार इसकी कृषि के अंतर्गत लगभग 215 लाख हैक्टेयर भूमि है तथा उत्पादक 2872 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है इसकी खेती मुख्ता उतरी तथा मध्य भारत में की जाती है इसके प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश पंजाब हरियाणा मध्य प्रदेश बिहार राजस्थान गुजरात एवं महाराष्ट्र है यह राज्य उसके कल उत्पादक का 90% गेहूं पैदा करते हैं

गेहूं की खेती करने के लिए उत्पादन एवं व्यापार

हमारे देश में 1960 से 61 में केवल 1.29 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की खेती की जाती थी और उत्पादक लगभग 110 लाख टन होता था किंतु अब गेहूं का क्षेत्रफल हो गया तथा उत्पादक लगभग974 लाख टन होने का अनुमान है भारत में गेहूं की खेती में यह वृद्धि हरित क्रांति के कारण हुई थी स्वाधीनता के पूर्व भारत संसार का एक प्रमुख गेहूं निर्यातक देवता किंतु उसके बाद विगत वर्षों में देश की जनसंख्या में जो तेजी से वृद्धि हुई इसके कारण भारत को अपनी घरेलू पूर्ति के लिए विदेश से गेहूं आयात करना पड़ा आजकल हमारे देश में लगभग आत्मनिर्भर प्रदान कर लिया है

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