Chawal ki kheti Kaise Karen : चावल की खेती कैसे करे

Chawal ki kheti Kaise Karen : चावल की खेती कैसे करे

भारत चावल का प्रमुख खाद्यान्न है भारत में चावल की खेती प्राचीन समय 3000 वर्ष पूर्व से होती चली आ रही है हमारे यहां चावल एक खाद्यान्न नहीं अपितु हमारे संस्कृति का प्रतीक भी है हमारे यहां जीवन के हर क्षेत्र में चावल की नहीं देखी जाती है चावल के बिना हमारा कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं होता यही कारण है भारत को भी चीन की भांति चावल संस्कृति का देश कहा जाता है भारत में चावल का बहुत ही महत्वपूर्ण है आप लोग जानते हैं की भूमि के लगभग 15% भाग में तथा खाद्यान्नों के अंतर्गत बोई गई भूमि में लगभग 37% भाग में चावल बोया जाता है

चावल गेहूं के बाद दूसरा प्रमुख खाद्यान्न फसल है चावल की खेती लगभग 4.3 करो हेक्टेयर भूमि पर किया जाता है भारत समस्त विश्व के उत्पादन का लगभग 31% चावल उत्पादन करता है जब किया आविष्कार 28% चावल का क्षेत्रफल पाया जाता है भारत में बाय जाने वाले फसलों में सबसे अधिक क्षेत्रफल चावल का है भारत में चार करो हेक्टेयर सादिक भूमि पर चावल उगाया जाता है चावल की खेती थोड़ी बहुत मात्रा में चावल की खेती भारत के सभी राज्यों में होती है किंतु चावल उत्पन्न करने वाला मुख्य राहत पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश तमिलनाडु बिहार झारखंड मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश इत्यादि यह सभी राज्य मिलकर देश का 95% से अधिक चावल उत्पन्न करता है

Chawal ki kheti Overview

Post Type Information
Name Of Information Farming
Crops Name Rice
Location India
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चावल की उपज की दशाएं

चावल उष्णकटिबंधीय पौधा है परंतु इसकी खेती उसमें तथा शीतोष्ण दोनों ही कटिबंधों में की जाती है यह समुद्र तल से लेकर 25000 मीटर की ऊंचाई वाले स्थान तथा अति आदर्श क्षेत्र से लेकर अर्ध शुष्क क्षेत्र में भी पैदा किया जाता है चावल की अच्छी पैदावार के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं की आवश्यकता होती है
चावल के उत्पादन के लिए आवश्यक जलवायु
चावल के लिए उसे विवाह आधार जलवायु आदर्श होता है कम वर्षा वाले भागों में सिंचाई के द्वारा भी पैदा किया जा सकता है

चावल के उत्पादन के लिए आवश्यक तापमान

चावल के लिए ऊंचे तापमान की आवश्यकता होती है इससे बोते समय 20 डिग्री सेंटीग्रेड और बढ़ते समय 24 डिग्री सेंटीग्रेड तथा पट्टी समय 27 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है 19 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान वाले क्षेत्रों में इसकी खेती नहीं की जा सकती है

चावल के उत्पादन के लिए आवश्यक वर्षा

चावल के लिए वर्ष का अधिक महत्व है इसको अधिक नमी की आवश्यकता होती है यह यद्यपि उनकी पैदावार सर से 75 सेमी से लेकर 2000 सेंटीमीटर वर्षा वाले भागों में की जाती है किंतु आदर्श क्षेत्र वे होते हैं जहां वर्षा 150 से 200 सेंटीमीटर होता है इससे कम वर्षा वाले भागों में यह सिंचाई के शहर बोया जाता है वर्ष के अनुसार चावल की खेती होती है यह उक्ति चावल के लिए वर्ष के महत्व को प्रकट कर देता है

चावल के उत्पादन के लिए आवश्यक मिट्टी

चावल के लिए उपजाऊ मिट्टी चिकनी या दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है जिससे धन की जड़े अंधेर है और पौधा खड़ा रह सके इसके लिए डेल्टाई प्रदेश बाढ़ वाले प्रदेश तथा तथ्य बाग अत्यंत उपयुक्त होता है

चावल की उत्पादन के लिए आवश्यक भूमि

चावल की पैदावार के लिए समतल भूमि अधिक उपयुक्त होता है क्योंकि इसमें पौधे को हमने के लिए प्रारंभ में खेती के अंदर पानी का भारत रहना लाभप्रद रहता है उपयुक्त तापमान और वर्षा की अवस्थाओं में या पहाड़ी क्षेत्रों में भी उत्पन्न किया जा सकता है वहां इसकी खेती सीढ़ीदार कृषि प्रणाली द्वारा की जाती है

चावल की उत्पादन के लिए सस्ते श्रमिक

चावल की खेती के लिए कुशल एवं सस्ते श्रमिकों का विशेष महत्व है इसका कारण यह है कि चावल की खेती प्रारंभ से अंत तक जुदाई बुवाई पौधारोपण एवं कटाई आदि सभी कार्य हाथ से करने पड़ते हैं यही कारण है कि चावल की अधिकतम खेती करने आबादी वाले भागों में की जाती है जिससे कि वहां पर श्रमिक भी मिल जाते हैं और चावल की कटाई बुआई पौधारोपण आदि सभी कार्य आसानी से हो जाता है

चावल की उत्पादन के लिए आवश्यक खाद

चावल के लिए खाद देना भी जरूरी होता है इसके लिए नाइट्रेट में अमोनियम सल्फेट खाद अच्छी होती है

चावल की खेती करने का तरीका

भारत में चावल की खेती के निम्नांकित तरीके काम में ले जाते हैं
(A )धानछिटकर -इस विधि में चावल को खेत में हाथ से बिखर कर बोया जाता है यह विधि कम उपजाऊ तथा ऊंची नीची भूमि और मजदूरों की कमी वाले भागों में काम में लाया जाता है इस कारण की बुवाई मानसून के प्रारंभ होते ही की जाती है
(B) हल चलाकर – यह विधि दक्षिण भारत में अधिक प्रयोग में लाई जाती है इसमें खेत में हल चलाते समय नली द्वारा बीज बोया जाता है यह विधि बहुत ही उपयोग में लाई जाती थी
(C) पीनौरा या पौधा लगाना– इस विधि में धान को पहले क्यारियों बोया जाता है जब क्यारियों मैं पौधे 15 सेंटीमीटर बड़े हो जाते हैं तो उन्हें उखाड़ कर तैयार किए हुए खेतों में 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर 4 से 6 इकट्ठे एक कतार में रोक देते हैं इन पौधों की क्यारियों को तब तक पानी से भरा रखते हैं जब तक वह पकने पर ना आ जाए

चावल उगाने की जापानी विधि

इस विधि में पौधों को लगाने की विधि के समान ही चावल को क्यारियों मैं बोया जाता है किंतु इसमें उत्तम बीजों और खाद का अधिक प्रयोग किया जाता है सिंचाई की भी समुचित व्यवस्था की जाती है जिससे कि चावल और भी अधिक उत्तम हो जाए जिससे कि चावल को बढ़िया से उपजाऊ हो जाए

चावल का उत्पादक क्षेत्र

भारत में बोई जाने वाली फसलों में सबसे अधिक क्षेत्रफल चावल का है भारत में चार करो हैकटेयर्स अधिक भूमि पर चावल उगाया जाता है यह तो थोड़ा बहुत मात्रा में चावल की खेती भारत में सभी राज्यों में होती है किंतु चावल उत्पन्न करने वाला मुख्य राज पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश तमिलनाडु बिहार झारखंड मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश उत्तराखंड उड़ीसा पंजाब महाराष्ट्र असम कर्नाटक व केरल है यह सभी राज मिलकर देश का 95% से अधिक चावल उत्पन्न करते हैं

चावल का उत्पादन एवं व्यापार

भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा बड़ा चावल उत्पादक देश किंतु क्षेत्रफल की तुलना में हमारे यहां उत्पादक बहुत कम होता है जापान में प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 6000 किलोग्राम होता है वही हमारे यहां अभी प्रति हेक्टर उत्पादन 2404 किलोग्राम होने का अनुमान है विगत वर्षों में न केवल इसके क्षेत्रफल में ही वृद्धि हुई है अपितु प्रति हेक्टर उत्पादन भी बड़ा है जहां 1960 से 61 में केवल 34.1 मिलियन हेक्टेयर भूमि में चावल होता था वह अब इसका क्षेत्रफल बढ़कर 439 लाख हेक्टेयर होने की संभावना है इसी प्रकार चावल का कुल उत्पादन भी 34.6 मिलियन तन से बढ़कर अब लगभग 10 करोड़ तन हो गया है वर्ष 2016 से 17 में 1091 लाख टन चावल का उत्पादन होने का अनुमान था

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