Ganna ki Kheti Kaise Karen : गन्ना की खेती कैसे करें
गन्ना का जन्म स्थान भारत है यहां लगभग 5000 वर्ष पूर्व से गन्ने की खेती की जा रही है यही से विश्व के सभी भागों में इसका प्रचार प्रसार हुआ था संसार में सबसे अधिक गाने की खेती आज भी भारत में ही होती है संसार में गाने के कुल क्षेत्र का लगभग 3% भाग भारत में है गन्ने भारत की एक प्रमुख मुद्रा दायिनी फसल है आज के इस लेख में गाने के बारे में संपूर्ण जानकारी दिया गया है करने के द्वारा गुड़ व चीनी बनाई जाती है गन्ने के सिरे से शराब एवं स्पीड बनाई जाती है इसलिए इसलिए कुआं अंत तक पढ़े
गन्ना की खेती भारत में भी बहुत ही जोरों से की जाती है गन्ने की खेती में भारत की अर्थव्यवस्था में अत्यधिक महत्व है गन्ना भारत की एक प्रमुख नदी फसल होती है जिससे चीनी, गुड़ एवम शराब आदि का निर्माण होता है गन्ने का उत्पादन सबसे ज्यादा ब्राजील में होता है और भारत का गन्ने की उत्पादकता में संपूर्ण विश्व में दूसरा स्थान गन्ना एक उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय फसल है आप लोग जानते हैं कि चीनी मनुष्य के लिए एक महत्वपूर्ण वस्तु है या चीनी गन्ने से प्राप्त की जाती है गन्ने का मूल स्थान भारत को ही माना जाता है
Ganne ki Kheti Overview
Post Type | Information |
Name Of Information | Farming |
Crops Name | Sugarcane |
Location | India |
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गन्ना की खेती के उपज की दशाएं
गन्ना मुख्यत उष्णकटिबंधीय पैदावार है परंतु इसकी खेती अर्ध काटीबंदि में भी की जाती है भारत में इसकी खेती 8 डिग्री उत्तर से लेकर 32 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक की जाती है
गन्ना की खेती करने के लिए आवश्यक तापमान
गन्ने की पैदावार के लिए 21 डिग्री से 27 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान प्रयुक्त होता है पौधे के अंकुर निकलते समय इसको 20 डिग्री सेंटीग्रेड तथा बढ़ते समय 20 डिग्री से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान आवश्यक होता है 18 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे तथा 30 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर तापमान करने के लिए हानिकारक होता है अधिक सर्दी और पल भी इसको हानि पहुंचती हैं
गन्ना की खेती करने के लिए आवश्यक वर्षा
गन्ना खेती करने के लिए वर्षा का होना बहुत ही आवश्यक है गन्ने की खेती हेतु 100 सेंटीमीटर से 175 सेमी तक वर्षा होना आवश्यक है कटाई का समय सुखा होना चाहिए गन्ना शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई के तहत उगाया जाता है
गन्ने की खेती के लिए आवश्यक भूमि
गन्ने की खेती के लिए समतल भूमि , अच्छे जल निकास वाले निकली भूमि पर की जाती है ऐसे क्षेत्र आसानी परिवहन, सिंचाई और मशीनों का उपयोग करना बहुत आसान होता है
गन्ने की खेती करने के लिए आवश्यक मिट्टी
गन्ने की खेती करने के लिए दोमट अथवा भारी दोमट मिट्टी में अच्छा पनपता है यद्यपि यह काली और काँप मिट्टी में जीवांशो के अधिक होने पर उसमें बोया जा सकता है अधिक नमी और चुना एवं फास्फोरस युक्त मिशन इसकी उपज के लिए विशेष लाभदायक होता है तथा गन्ना गहरी उपजाऊ मिट्टी पर अच्छी तरह से वाया जाता है जो नमी बनाए रख सकती हैं गन्ने की खेती करने के लिए मुख्यतः जलोढ़ मिट्टी ज्वालामुखी मिट्टी तथा कैल्केरिया (चुना पत्थर) मिट्टी गन्ने की विधि के लिए सबसे उपयुक्त है
गन्ने की खेती करने के लिए सस्ते श्रमिक
गन्ने की खेती करने के लिए सस्ते और अधिक मात्रा में श्रमिकों की आवश्यकता होती है क्योंकि गाने की पौधे लगाने ,उसकी निराई करने, काटने इकट्ठा करने अधिकारियों में अधिक श्रमिक का होना आवश्यक है
गन्ने की खेती करने के लिए आवश्यक खाद
गन्ने की फसल के लिए खाद काव्य बहुत बड़ा महत्व है इसकी अच्छी पैदावार के लिए नाइट्रोजन खाद की आवश्यकता होती है नाइट्रोजन के अलावा इसे कैल्शियम ,पोटाश एवं फास्फोरस की भी आवश्यकता होती है
गन्ने की खेती करने के लिए उत्पादक क्षेत्र
गन्ने समानता उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र तमिलनाडु आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना कर्नाटक हरियाणा पंजाब बिहार इत्यादि क्षेत्रों में गाने का उत्पादन किया जाता है गन्ने का भारत का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है भारत में कुल गाने के क्षेत्र का कोई आदेश से अधिक लाभ इसी राज्य में है या गाना वैसे तो सभी भागों में होता है लेकिन गन्ना उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्र हैं पहले तथा दूसरा गंगा यमुना का दोआब हैं गन्ना के उत्पादन के लिए तमिलनाडु देश का तीसरा बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है तथा भारत में गन्ना उत्पादन का राज्यों में आंध्र प्रदेश का चौथा स्थान है तथा कर्नाटक का गन्ना उत्पादन में पांचवा स्थान है और गन्ने के उत्पादन में बिहार का भी उल्लेखनीय स्थान है यहां गाने की खेती मुख्ता उत्तरी बिहार के तराई वाले क्षेत्र में की जाती है
गन्ने का उत्पादन तथा व्यापार
आजकल भारत में लगभग 45 लाख हैक्टेयर भूमि में गन्ने को बोया जाता है किंतु हमारे यहां का प्रतीक हीटर उत्पादन कम होने से हमारा गन्ने का उत्पादन बेना भी काम हो जाता है मालेगांव आजकल गन्ने का उत्पादन लगभग 68 टन प्रति हेक्टेयर होने का संभावना है तथा कुल उत्पादन 306 मि. टन होने का अनुमान है हमारे यहां घरेलू खपत अधिक होने से 51% करना गुड बनाने में 30% शक्कर बनाने में तथा शेष बीज आदि के काम में आ जाता है हमारे यहां आजकल दो से तीन करोड़ टाइम तक चीनी का प्रति वर्ष उत्पादन होता है जो लगभग खपत हो जाता है
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