Jute Ki Kheti Kaise Karen : जूट की खेती कैसे करें
जूट एक रेशेदार सुनहरी फसल है जिनकी चल से प्राप्त जूट विविध औद्योगिक कार्यों में प्रयुक्त होता है इसका सर्वाधिक प्रयोग विभिन्न वस्तुओं को भरने या रखने के लिए बोरियाँ बनाने में होता है आजकल जूट से मिश्रित वस्त्र, कालिनें, दरियां, टाट, रस्सी व अन्य सजावटी सामान भी तैयार किया जाता है जूट भारतीय मूल का पौधा है अतः भारत में इसकी खेती अति प्राचीन समय से होती रही है आजकल कितनी कृत्रिम रेशों का प्रचलन हो जाने से इसकी कृषि पर कुप्रभाव हुआ है फिर भी अपने उपयोगिता के कारण इसका महत्व बना हुआ है
जूट की खेती हमारे भारत के कई राज्यों में जोरों शोरों से की जाती है जूट भी कपास की तरह एक सुनहरा फसल है जुट का उपयोग बोरियां वस्तुओं को भरने या रखने के लिए किया जाता है जूट से मिश्रित वस्त्र भी बनाए जाते हैं आज के इस लेख में आप सभी को हम जूट की खेती करने के बारे में संपूर्ण जानकारी स्टेप बाय स्टेप बताया गया है यदि आप भी एक किसान है और आप जूट की खेती करना चाहते हैं तो आपके लिए यह लेख बहुत ही महत्वपूर्ण है किस देश के द्वारा आप सभी को जूते की खेती कैसे करें इसके लिए कितनी वर्षा होना चाहिए इत्यादि चीजों की जानकारी दी गई है
Jute Ki Kheti Overview
Post Type | Information |
Name Of Information | Farming |
Crops Name | Jute |
Location | India |
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जुट या पटसन का उपज की दशाएं
झूठ उष्णकटिबंधीय प्रदेशों की उपज है जूट की उपज की प्रक्रिया बीजों को भूमि में बोने से शुरू होती है। यह विभिन्न मौसमों और भूमि की श्रेणियों के आधार पर की जाती है। बीजों के बोने के बाद, जूट की पौधे की देखभाल और पानी देने की जरूरत होती है। यह सुनने, खाद, और फसल संरक्षण को समायोजित करता है। जूट पौधे का परिपक्व होना लगभग 4-5 महीने लेता है। उसके बाद उसका कटाई का समय आता है, जब पौधे को काट कर जूट की बुंदें निकाली जाती हैं। बुंदों को पानी में भिगोने के बाद उन्हें सूखा दिया जाता है, जिससे वे फाइबर्स में अलग हो जाती हैं।
जूट या पटसन की खेती के लिए आवश्यक तापमान
जूट उष्णताप्रिय पौधा है अतः इसकी उपज के लिए 25 डिग्री से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है 15 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान वाले भागों में इसकी खेती संभव नहीं होती है
जूट या पटसन की खेती के लिए आवश्यक वर्षा
जूट की खेती के लिए वर्ष का बड़ा महत्व है इसकी खेती के लिए 125 से 200 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है पौधे को बोते समय तेज वर्षा हानिकारक होता है किंतु बड़े होने पर यह सामान्य बार और तेज वर्षा को भी सह लेता है बोते समय 8 से 10 सेंटीमीटर वर्षा अच्छी रहती है फिर धीरे-धीरे प्रति सप्ताह कुछ वर्षा होती रहे तो पौधों की बढ़ाव अच्छी होती है पौधा दो-तीन महीने का होने पर जल की आवश्यकता बढ़ जाती है अतः यह मानसून प्रारंभ होने के पूर्व मार्च से मई के महीने तक बो दिया जाता है
जूट या पटसन की खेती के लिए आवश्यक भूमि
जूट की उपज के लिए समतल भूमि की आवश्यकता होती है यह मैदानी भागों में विशेषता डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है
जूट या पटसन की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी
झूठ के लिए गहरी उपजाऊ कांप मिट्टी आदर्श होता है चुकी इसकी खेती भूमि को शीघ्र कमजोर बना देता है आता है या ऐसी भूमि में बोया जाता है जहां बाढ़ के समय नई उपजाऊ मिट्टी मिलती रहे यही कारण है कि या नदियों के डेल्टाओं में अधिक बोला जाता है
जूट या पटसन की खेती के लिए आवश्यक स्वच्छ जल
जूट के पौधों से रेशा प्राप्त करने के लिए उनको कई सप्ताह तक पानी में डुबोकर रखना पड़ता है इससे उनका रेशा फूल जाता है जिसको स्वच्छ पानी में धोखा अलग कर लिया जाता है अतः इसके लिए स्वच्छ जल की भी बड़ी आवश्यकता होती है
जूट या पटसन की खेती के लिए आवश्यक सस्ते श्रमिक
जूट की खेती के लिए सस्ते मजदूर का भी बड़ा महत्व है जूट के पौधों को काटने, बंडल बनाने, उसे पानी में सरने और रेशा निकालना के लिए काफी श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है
जूट या पटसन की खेती के लिए आवश्यक उत्पादक क्षेत्र
भारत में जूट का उत्पादन क्षेत्र लगभग 9 लाख हेक्टेयर है भारत स्कीम खेती मुख्त पश्चिम बंगाल में होता है असम ,बिहार ,उड़ीसा, त्रिपुरा ,उत्तर प्रदेश अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य है जूट की खेती में पश्चिम बंगाल अग्रणी स्थान पर है यहां लगभग 5 लाख हैक्टेयर भूमि में जूट बोया जाता है और यह समस्त देश के उत्पादन का आदेश अधिक जूट को पैदा करता है आजकल असम भारत में जूट का दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य है यहां ब्रह्मपुत्र की घाटी जूट उत्पादन के लिए विशेष उपयुक्त है यहां की 3/4 पैदावार इसी घाटी से प्राप्त होता है बिहार तथा झारखंड मैं तराई क्षेत्र जूट का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है यहां पर खगड़िया एवं दरभंगा जिले सबसे प्रमुख उत्पादक जिले हैं
जूट या पटसन की खेती के लिए उत्पादन तथा व्यापार
देश के विभाजन से भारत में झूठ के उत्पादन व्यापार को गहरा धक्का लगा है देश का 3/4 जूट उत्पादक क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) मैं चला गया है जबकि जूट की 83 मिले भारत में रह गई उसके बाद से निरंतर प्रयासों के बाद अब झूठ के उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुआ है
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